मांग में विस्तार और संकुचन से तात्पर्य उन परिवर्तनों से है जो किसी वस्तु या सेवा की मांग में कीमत में बदलाव के कारण होते हैं। इसे हिंदी में निम्न प्रकार से समझा जा सकता है:
1. मांग में विस्तार (Extension in Demand):
परिभाषा: मांग में विस्तार तब होता है जब किसी वस्तु या सेवा की कीमत घटती है, और इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता उस वस्तु की अधिक मात्रा की मांग करते हैं। यह मांग वक्र पर नीचे की ओर जाने से दर्शाया जाता है।
उदाहरण: अगर चाय की कीमत ₹20 से ₹15 प्रति कप हो जाती है, तो अधिक लोग इसे खरीदने के इच्छुक होंगे, जिससे उसकी मांग बढ़ जाएगी।
2. मांग में संकुचन (Contraction in Demand):
परिभाषा: मांग में संकुचन तब होता है जब किसी वस्तु या सेवा की कीमत बढ़ती है, और इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता उस वस्तु की कम मात्रा की मांग करते हैं। यह मांग वक्र पर ऊपर की ओर जाने से दर्शाया जाता है।
उदाहरण: अगर दूध की कीमत ₹40 से ₹50 प्रति लीटर हो जाती है, तो लोग कम दूध खरीदेंगे, जिससे उसकी मांग कम हो जाएगी।
यह प्रक्रिया मांग और आपूर्ति के नियमों का हिस्सा होती है, जो बाजार में मूल्य निर्धारण और मात्रा को नियंत्रित करते हैं।
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